एक महान वैज्ञानिक की कहानी: डॉक्टर वी नारायणन
कहानी की शुरुआत होती है एक ऐसे व्यक्ति से, जिसने अपने परिश्रम और समर्पण से असंभव को संभव कर दिखाया। यह कहानी है डॉक्टर वी नारायणन की, जो न केवल एक वैज्ञानिक हैं बल्कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नए अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव के रूप में अपनी नयी भूमिका निभाने जा रहे हैं।
प्रेरणा का पहला अध्याय
डॉक्टर नारायणन का सफर साधारण नहीं था। IIT खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (MTech) की पढ़ाई के दौरान उन्होंने न केवल उच्च स्थान प्राप्त किया, बल्कि अपने सपनों की ओर पहला कदम बढ़ाया। इसके बाद उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की उपाधि हासिल की, जो उनके अंतरिक्ष विज्ञान के सफर को नई ऊंचाई देने वाला था।
इसरो में एक नई शुरुआत
1984 का वह साल जब डॉक्टर नारायणन ने इसरो में कदम रखा। उस समय भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन डॉक्टर नारायणन के जैसे लोग, जिनके पास न केवल ज्ञान था बल्कि दूरदृष्टि भी थी, इसरो के लिए किसी वरदान से कम नहीं थे। उन्होंने अपने कौशल और परिश्रम से इसरो के लॉन्च व्हीकल्स, जैसे PSLV और GSLV, को नई ऊंचाई दी।
बड़े प्रोजेक्ट्स का नेतृत्व
जब बात बड़ी चुनौतियों की होती थी, तो डॉक्टर नारायणन का नाम सबसे पहले लिया जाता था। उन्होंने GSLV Mk III के लिए C25 क्रायोजेनिक स्टेज के विकास का सफल नेतृत्व किया। चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 मिशन में उनकी भूमिका इतनी महत्वपूर्ण थी कि इन मिशनों की सफलता में उनकी कड़ी मेहनत झलकती है। और अब, गगनयान मिशन के लिए वे ‘क्रायोजेनिक स्टेजेस की मानव-रेटिंग’ और क्रू व सर्विस मॉड्यूल्स के प्रपल्शन मॉड्यूल्स पर काम कर रहे हैं।
एक नई शुरुआत की ओर
14 जनवरी 2025 को, डॉक्टर नारायणन इसरो के अध्यक्ष के रूप में अपनी नई भूमिका निभाने वाले हैं। उनके कंधों पर अब भारत के अंतरिक्ष अभियानों को नई ऊंचाई पर ले जाने की जिम्मेदारी है।
उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि परिश्रम, समर्पण, और ज्ञान से हर सपना पूरा किया जा सकता है। डॉक्टर वी नारायणन, विज्ञान और प्रेरणा के प्रतीक हैं, जो हर युवा वैज्ञानिक को अपने सपनों को जीने का हौसला देते हैं।